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दोस्तों आज के समय में ऐसे बहुत कम लोग ही इस दुनिया में मौजूद है, जो की बुराइयों का विरोध करते हैं, और लोगों को हमेशा धर्म की राह पर चलने और सच्चाई का साथ देने को प्रेरित करते हैं, लेकिन दोस्तों आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पहले एक ऐसे ही महापुरुष का जन्म हुआ था, जिसे की आज आप और हम सभी महावीर स्वामी के नाम से जानते हैं, दोस्तों क्या आपको पता है कि महावीर स्वामी कौन है? और उन्होंने हमें क्या-क्या शिक्षा दी है?  अगर नहीं, तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं कि आखिर महावीर स्वामी कौन थे, और उन्होंने हमें क्या-क्या शिक्षा दी है, और उनके जीवन से हमें क्या-क्या सीखना चाहिए। तो चलिए बिना किसी देरी के इस आर्टिकल की शुरुआत करते हैं।

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महावीर स्वामी की शिक्षा

दोस्तों अगर बात करें महावीर स्वामी की, तो बता दे की महावीर स्वामी का पूरा जीवन ही हमारे लिए शिक्षा है। इनका जन्म आज से ढाई हजार वर्ष से पहले बिहार के कुंडलग्राम में एक इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय परिवार पर हुआ था, इनकी माता का नाम त्रिशला देवी और उनके पिता का नाम सिद्धार्थ था। बता दे की बचपन से ही महावीर स्वामी निडर स्वभाव के थे, और हमेशा बुराइयों का विरोध करते थे। 28 वर्ष की उम्र में जब इनके माता-पिता दोनों का देहांत हो गया था उसके दो वर्ष बाद यानी की 30 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने अपने घर को त्याग दिया था, घर को त्यागने के बाद इन्होंने 12 वर्ष से अधिक समय तक मौन धारण करके कठिन तपस्या की थी, जिस दौरान इन्हे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था, लेकिन इतनी कड़ी तपस्या के बाद आखिरकार उन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी, यानी कि उन्हें अपने इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त हो गया था। जिसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन जैन धर्म के लोगों को उपदेश देते हुए बिताया था। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि आखिर महावीर स्वामी ने हमें क्या-क्या शिक्षाएं दी है।

महावीर स्वामी के द्वारा दी गई शिक्षाएं

दोस्तों जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि महावीर स्वामी का पूरा जीवन ही हमारे लिए शिक्षा है, तो अगर बात करें महावीर स्वामी ने हमें मुख्य तौर पर क्या-क्या शिक्षा दी है, तो हम आपको बता दें कि महावीर स्वामी जैन धर्म के लोगों को हमेशा यह शिक्षा देते थे, कि उन्हें हमेशा प्रेम पूर्वक व्यवहार करके धर्म, सत्य, अहिंसा को अपना कर ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए। Mahavir Chalisa के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, तरक्की करता है, और हर तरह के सुख का भागीदार बनता है।

 महावीर स्वामी भी बचपन से ही बहुत ही ज्यादा दयालु स्वभाव के थे, वे सभी से प्रेम पूर्वक बातचीत करके हमेशा त्याग की भावना रखते थे, इसलिए वह अपने अनुयायियों को भी यह उपदेश देते थे कि उन्हें भी त्याग को अपनाकर लोगों से प्रेम पूर्ण व्यवहार करना चाहिए।

इतना ही नहीं जिस समय महावीर स्वामी का जन्म हुआ था, उस समय पशु बलि और जातिगत भेदभाव जैसी रूढ़िवादी परंपराएं समाज में व्याप्त थी, इसके विरोध में भी महावीर स्वामी ने कई उपदेश दिए हैं, उन्होंने हमेशा ऐसी अनुचित और रूढ़िवादी परंपराओं का विरोध किया है, जिसका नतीजा आज आपके और हमारे सामने है।

महावीर स्वामी को जैन धर्म का तीर्थंकर क्यों माना जाता है?

दोस्तों आपको यह तो पता चल ही गया है कि महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे, लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर महावीर स्वामी को जैन धर्म का तीर्थंकर क्यों माना जाता है, तो दोस्तों यह जानने के लिए सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि आखिर तीर्थंकर का अर्थ क्या होता है, तो दोस्तों अगर बात करे तीर्थंकर के अर्थ की, तो हम आपको बता दे तीर्थंकर उस व्यक्ति को कहा जाता है जिसने की अपने सभी इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया हो, यानी कि उसने क्रोध अभिमान और अपनी इच्छा को पूरी तरह से त्याग दिया हो, अर्थात उसे आत्मज्ञान की प्राप्ति हो गई हो। तो दोस्तों महावीर स्वामी को 12 वर्ष की कड़ी तपस्या के बाद केवल ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी, और उन्होंने अपने संपूर्ण इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया था, जिसकी वजह से महावीर स्वामी को भगवान पार्श्वनाथ जोकि जैन धर्म के 23वे तीर्थंकर थे, के बाद जैन धर्म का 24वां तीर्थंकर माना जाता है।

ऋषभनाथ कौन थे?

 जैसा कि हमने आपको बताया, की महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वे तीर्थंकर थे, तो दोस्तों अगर बात करें ऋषभनाथ की, तो बता दे की यह जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे, इनका जन्म चैत्र माह के कृष्ण पक्ष के 9वे दिन हुआ था। बता दे कि इन्हें ऋषभनाथ के अलावा आदिनाथ और ऋषभदेव के नाम से भी जाना जाता है, इन्हें बचपन से ही सभी शास्त्रों का ज्ञान था।

Conclusion

तो दोस्तों यह था महावीर स्वामी का जीवन, और उनके जीवन से मिलने वाली शिक्षा, उन्होंने हमेशा दूसरों का भला चाहा है, और दूसरों के भलाई के लिए ही उपदेश दिए हैं, और यही कारण है कि उन्हें महावीर स्वामी के नाम से जाना जाता है, और उन्हें जैन धर्म का 24वां तीर्थंकर भी माना जाता है। और जानने के लिए My Chalisa को विजिट करे।

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